बता मत हिरदे के बात काका ।
करही सारी दुनिया ह घात काका।
करही सारी दुनिया ह घात काका।
पर उपदेस कुसल बहुतेरे।
बांटत गियान साँझ सबेरे।
अपन भीतर झाँकय नहीं।
पुछही तोर औकात कका।
बांटत गियान साँझ सबेरे।
अपन भीतर झाँकय नहीं।
पुछही तोर औकात कका।
पोंगा पण्डित महिमा मण्डित।
बाँटत समाज करत विखण्डित।
सब स्वार्थ के खेल हरे जी,
मूर्खता हे जातपात कका।
बाँटत समाज करत विखण्डित।
सब स्वार्थ के खेल हरे जी,
मूर्खता हे जातपात कका।
बड़बोला मन, खाये मनमानी।
सोजमतिहा नई पावय पानी।
सच गोठियाबे त झंझटिहा अस,
बदल गे अब हालात कका।
सोजमतिहा नई पावय पानी।
सच गोठियाबे त झंझटिहा अस,
बदल गे अब हालात कका।