भँवर है लहर है किनारा नहीं है।
ये मजघार है पर सहारा नहीं है।
चलो आजमाएं खुदी हौसले को,
हमीं हम है कोई हमारा नहीं है।
जिन्हें जीतना हो, वो खुद से ही लड़ ले,
किसी और से कोई हारा नहीं है।
जमीन पर जो मां है, वो दोनों जहां क्या,
फलक पे भी ऐसा सितारा नहीं है।
जहां देखता था, वहां तुम ही तुम थे,
नजर है मगर अब नजारा नहीं है।
बहुत दिल किया था चलो लौट जायें,
मगर कोई हमको पुकारा नहीं है।
उठेगा चलेगा भले गिर गया है,
अभी हौसला वो भी हारा नहीं है।
जहाँ तुम नहीं हो वहाँ भी है खुशियाँ,
मगर कोई तुमसा ही प्यारा नहीं है।
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