2122 2122 2122
रोज करथे आजकल अखबार चर्चा।
गाँव घर होवत गली अउ खार चर्चा।
भूखे ला रोटी नहीं पव्वा घरा दे,
काम खोजत झन करै बनिहार चर्चा।
झन नवाँ माथा न अत्याचार सह तँय,
हक के खातिर कर ले बारम्बार चर्चा।
वो फलाना सँग फलानी भाग गे हे,
गाँव भर माते हवय जी मार चर्चा।
कान मा ठेठा हवे झन बोलबे तँय,
नइ सुनय जी काखरो दरबार चर्चा ।
चुप हवय सिधवा भले, डरपोक नइ हे,
बोलही तब हो जही सरकार चर्चा।
मेरखू फ़ोकट कथे आवास दे दे,
बिन कमीशन बंद हे बेकार चर्चा।
तब कलम लड़थे इहाँ मजबूर हो के,
हार जाथे जब करत तलवार चर्चा।
चल घुमा दे ना शहर पिज़्ज़ा खवा दे,
छी दई ये रात दिन के टार चर्चा।
प्यार के दु बोल मिट्ठी बोल अब तो,
सुन मया हे तब सुहाथे सार चर्चा।
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