महगाई ह फेर मसान हो गे।
जनता के मरे बिहान हो गे।हमरे खा के हमी ल भूँकय,घर घर हा पाकिस्तान हो गे।सच कहत हँव फेर मार खाहुँ,लबरा मन हा आसमान हो गे।मिठ मिठ खा करू उगल दे,संविधान घलो पान हो गे।हक बर लड़े गरीब मन के,तोर महल आलीशान होगे।आशीष जभे गुरु के मिलगेगंगाधर शक्तिमान होगे।बिपत म जेन साथ दे थेसम्मत म उही आन हो गे।संसद मा बोलत हे घुघवा।गाँव गली हर वीरान होगे।दारू भट्ठी हे बहुत जरूरी,सरकारी स्कूल बेजान हो गे।
मथुरा प्रसाद वर्मा एक क्रियाशील शिक्षक है साथ ही एक कवि और साहित्यकार है . छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य के
- मथुरा प्रसाद वर्मा 'प्रसाद'
- कोलिहा लवन , बलौदाबजार, छत्तीसगढ, India
- नाम- मथुरा प्रसाद वर्मा पिता- स्व. जती राम वर्मा माता- श्रीमती पितरबाई वर्मा जन्मतिथि- 22-06-1976 जन्मस्थान - ग्राम -कोलिहा, जिला-बलौदाबाजार (छ ग ) कार्य - शिक्षक शा पु मा शाला लहोद, जिला बलौदाबाजार भाटापारा शिक्षा - एम् ए ( हिंदी साहित्य, संस्कृत) डी एड लेखन- कविता, गीत, कहानी,लेख,
गजल : महगाई ह फेर मसान हो गे।
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