महगाई ह फेर मसान हो गे।
जनता के मरे बिहान हो गे।
हमरे खा के हमी ल भूँकय,
घर घर हा पाकिस्तान हो गे।
सच कहत हँव फेर मार खाहुँ,
लबरा मन हा आसमान हो गे।
मिठ मिठ खा करू उगल दे,
संविधान घलो पान हो गे।
हक बर लड़े गरीब मन के,
तोर महल आलीशान होगे।
आशीष जभे गुरु के मिलगे
गंगाधर शक्तिमान होगे।
बिपत म जेन साथ दे थे
सम्मत म उही आन हो गे।
संसद मा बोलत हे घुघवा।
गाँव गली हर वीरान होगे।
दारू भट्ठी हे बहुत जरूरी,
सरकारी स्कूल बेजान हो गे।
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