नदियाँ तीर रहिथव फेर मँय हा पाया आँव।
मोर मयारू मँय जन जन के आसा आँव,
अपने घर मा काबर हँव निर्वासित मँय,
छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी भासा आँव।
कहाँ नदावत हम सब के चिन्हारी हा।
ये छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी हा।
कइसे परबुधिया होगे सब लइका मन,
मार डरिस हमसब ला लाचारी हा।
पियासे मन ला मधुरस कस ये बोर दिही।
अपन बनाही बैरी के बल टोर दिही।
छत्तीसगढ़ी भाखा अतेक मयारू हे,
मोर बनकोयली हिरदे म रस घोर दिही।
शिक्षा दीक्षा सबला ज्ञान अंजोर दिही।
सरल सुगम सुंदर भाखा हे सोर दिही।
उही ल अब मँय राज दुहु छत्तीसगढ़ के,
मोला छत्तीसगढ़ी भाखा मोर दिही।
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