कोन लिखथे साँच अब अखबार मा।
बेंच दे हे सब कलम बाजार मा।
मुँह ल खोले के जुलुम होगे हवे।
काट मोरो घेंच ला तलवार मा।
हाँ तहूँ जी भर कमा ले लूट ले,
तोर मनखे बइठगे सरकार मा।
नाँव के खातिर मरे सनमान बर।
रेंगथे कीरा सहीं दरबार मा।
हे मया कइसे तहूँ हर मान बे,
बेंच दे न बिक जाहुँ बाजार मा।
नइ मिलय मन के मिलौना मोर कस
खोज के जा देख ले संसार मा मा।
बिन मरे कोनो सरग नइ पाय जी,
दुख दरद भरपूर मिलथे प्यार मा।
मापनी 2122 2122 212