1.
बहुत अभिमान मँय करथौं,छत्तीसगढ के माटी मा।
मोर अंतस जुड़ा जाथे, बटकी भर के बसी मा।
ये माटी नो हाय महतारी ये, एकर मान तुम करव
बइला आन के चरथे, काबर तुम्हर बारी मा।
2
मँय तोरे नाँव लेहुँ , तोरे गीत गा के मर जाहूं ।।जे तै इनकार कर देबे, त कुछु खा के मर जाहुं ।।अब तो लगथे ये जी हा जाही,संगी तोर मया मा,
कहुँ हाँ कही देबे, त मय पगला के मर जाहुं ।।
3
ये कइसे पथरा दिल ले मँय हा काबर प्यार कर डारेंव ।।
जे दिल ला टोर के कईथे,का अतियाचार कर डारेंव ।।
नइ जानिस वो बैरी हा, कभू हिरदे के पीरा ला,
जेकर मया जिनगी ला,मँय अपन ख़्वार कर डारेंव।।
4
मोरो घर मा देवारी कस, दिया दिनरात जरत हे फेर।।
महूँ ला देख के कोनो,अभी ले हाथ मलत हे फेर।।
मँय तोरे नाँव ले ले के, अभी ले प्यासे बइठे हौं
मोरो चारो मु़ड़ा घनघोर, बादर बरसत हे फेर।।
5
महूँ तरसे हँव तोरे बर, तहुँ ला तरसे ला परही
मय कतका दुरिहा रेंगे हौ,तहूँ ला सरके ला परही।।
मँय तोरे नाँव के चातक,अभी ले प्यासे बइठे हौं
तड़प मोर प्यास मा होही त तोला बरसे ला परही।
6
मोर घर छितका कुरिया अऊ, तोर महल अटारी हे ।
तोर घर रोज महफिल अऊ,मोर सुन्ना दुवारी हे ।।
तहुँ भर पेट नइ खावस,महुँ भर पेट नइ खावव
तोला अब भूख नइ लागय,,अउ मोर जुच्छा थारी हे ।
7
कभू करथे दिल मोरो, के मँय देवदास हो जातेंव।।
नई परतेंव तोर चक्कर मा त कुछु ख़ास हो जातेंव।।
अगर होतिस सिलेबस मा,तोरे रूप के चर्चा;
ता एसो के परीक्षा मा ,महुँ हा पास हो जतेंव।।
8
उही मा राजी ख़ुशी हे, जेला हम पा जाथन ।
प्यार से कोनो बलाथे, त हममन आ जाथन।
तुहीं मन राख लव , मया म तराजू धर के,
हम तो मुहब्बत म मलोवन,घलो बेचा जाथन।
9
तहीं हा टोर के बँधना मया के चल देथस।
कुँवर करेजा ला गोड़ मा मसल देथस।
मँय खड़े हावव अभी ले तोर अगोरा मा,
तीर मा आ के तँय हा बदल देथस।
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