सपना बने निराला दिही।
रोज नवाँ घोटाला दिही।
रोज नवाँ घोटाला दिही।
नेता बड़े हरय देश ला
डवकी,लइका, साला दिही।
डवकी,लइका, साला दिही।
चाबी दे दे हवे चोर ला,
फ़ोकट मा अब ताला दिही।
फ़ोकट मा अब ताला दिही।
अखबार चलाने वाला मन ला
रोज नवाँ मसाला दिही।
रोज नवाँ मसाला दिही।
रेती,सिरमेंट,छड़ खाने वाला
भुखउ ला काबर निवाला दिही।
भुखउ ला काबर निवाला दिही।
काम कोनो ला नई देवय
जपे बर सबला माला दिही ।
जपे बर सबला माला दिही ।
हर चौक मा दारू भट्टी ,
हर हाथ म प्याला दिही।।
हर हाथ म प्याला दिही।।
सबे इहाँ हे खाखाये भुखाय,
कोन हा कोन ला,काला दिही।।
कोन हा कोन ला,काला दिही।।
'प्रसाद' अपन घर ला जला जला के '
कब तक पर ला उजाला दिही।
मथुरा प्रसाद वर्मा 'प्रसाद'