बबा किहिस मोर ले
एक सवाल हे तोर ले
ये जो रोज रोज चीखने -चिचियाने वाला
मन कोन ए ?
जेन भुखाय हे ?
जेन पियासे हे?
जे बेघर हे ?
जे नंगा हे ?
का उकर दंगा हे?
में चेथी ल खजवावत
बने सोचेंव
अउ गोठियायेव
ये बाबा तँय नइ जानस !
वो मन कइसे चिल्लाही ?
वो बिचारा मन तो
अपने मारे मरत
कलेचुप मौन हे
त तहीं बता न रे नाती!
ये चिचियाने वाला कोन हे?
कोन हे ?
कोन हे?
मँय कहवे बबा!
इही बात के तो रोना हे
इहाँ आन के गाय अउ
आन के दुहना हे।
इहाँ उही मन चिल्लात हे /
जेन मन देश आजादी के
बाद ले अब तक ,
हमर भूख अउ गरीबी ला
सवारथ बर भुनात हे/
हमर पियास ले,
अपन पियास बुझात हे।
* मथुरा प्रसाद वर्मा "प्रसाद"
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