मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
कोलिहा लवन , बलौदाबजार, छत्तीसगढ, India
नाम- मथुरा प्रसाद वर्मा पिता- स्व. जती राम वर्मा माता- श्रीमती पितरबाई वर्मा जन्मतिथि- 22-06-1976 जन्मस्थान - ग्राम -कोलिहा, जिला-बलौदाबाजार (छ ग ) कार्य - शिक्षक शा पु मा शाला लहोद, जिला बलौदाबाजार भाटापारा शिक्षा - एम् ए ( हिंदी साहित्य, संस्कृत) डी एड लेखन- कविता, गीत, कहानी,लेख,

आल्हा : हाथ जोड़ के करँव आरती, दाई सुन मोरो गोहार।

हाथ जोड़ के करँव आरती ,  दाई सुन मोरो गोहार।
तोर लेड़गा कोदा लइका, माथ नवाँ करथव जोहार।

नइ जानव मँय पोथी पतरी,भटकट दुनियाँ के बाजार ।
डगमग डोलय मोरे नइया, फँसे बीच मा हे मजधार।

मोर शारदे दाई तोरे, महिमा हे वो अपरम्पार।
तोरे किरपा  मोला मिलगे, सदगुरु चरण के उपकार।

गुरु चरण मा सीखें  हाँवव , आखर दू आखर सिरजाय।
झन भटकँव मँय  गलत राह मा, गुरुदेव हा पार लगाय । 

छन्द के छ हा कक्षा नो हय, साधक मन के हे परिवार।
सबे सीखथे अउ सीखाथे ,लिख लिख के जी बारम्बार।

उदिम करत हन सब झन मिलके, छन्द जगत के हम मजदूर।
छत्तीसगढ़ी साहित कोठी, भरे रहय जी अब भरपूर।

 माता रानी के पय्या पर , बिनती कर के माथ  नवाँव।
छत्तीसगढ़िया छन्द आल्हा,आपके आघु  आज सुनाँव।


कुकुभ छंद : राजनीति हा

कुकुभ 16,14
अंत मे 22
राजनीत हा मोर गाँव मा, बोतल मा भरके आथे ।
बरसा के पूरा  कस नाला , गाँव गली बोहा जाथे।


सुनता के बँधना टोरे बर, लालच के बिजहा बोंथे।
दुख पीरा मा हितवा बन के,घड़ियाली रोना रोथे।


स्वारथ  बर छानी मा होरा, भुंज भुंज के सब खाथे।
जात धरम अउ ऊँच नीच के, भेद कलेचुप बगराथे।


निचट लपरहा नेता बनथे, अउ  चमचा जाँगर चोट्टा।
सब झन बर अब खाँचा खनथे, अवसर पाय  खोट्टा।


भूखर्रा मन हदराही मा, फोकट के पा के खाथे।
माधोदास ह दार भात ला, खा खा के बड़ इतराथे।


फोकट के पा के लेड़वा मन , चिचियाथे आरा पारा।
चार चवन्नी फेक फेक के ,चतुरा मन चरथे चारा।


कपट कमाई के रक्सा हा, लिलत जात हे मर्यादा।
दरुहा मन के जमघट होंगे ,मोर गाँव सीधा साधा।


आल्हा : करू करेला मोर कलम हे


करू करेला मोर कलम हे, करू करू मँय करिहौ बात।
रिस झन करहू मोर बात के, मँय जुगनू अँधियारी रात ।।

मोर कहानी  कहे समारू , इतवारा  हर करे विचार।
मंगलु सोचय गुनय बुधारू, मानय बात ल जानय सार।।

बदलत हावे आज जमाना, बदलत हावे सब व्यवहार।
देख जमाना जे नइ बदलय, वो मन पछवा जाथे यार।।

 घर घर जाय दूध बेचइया, अउ मदिरालय आथे लोग।
भाजी वाला भूख मरे अउ, खाय कसाई छप्पन भोग।।

पढ़े लिखे मन घर ला त्यागे, निज स्वारथ  बूड़े दिनरात।
अनपढ़ बेटा दाई ददा ल, करके मजुरी देथे भात।।

अपने भाखा अपने बोली,बोले बर भी लगथे   लाज।
अंग्रेजी नइ आय तभो ले, गिटपिट गिटपिट करथे आज।।

भ्रष्ट आचरण करे कमाई, धन दौलत मा खोजय मान।
दुत्कारे सब दीनदुखी ला, बड़े बड़े ला देथे दान।।

बेरा नइये मनखे बर अउ, मोबाइल मा बाँटय ज्ञान।
सोसल मिडिया मा छाए हे, अउ भटकत हावे सन्तान।।

मनखे होगे आज मशीनी, मर गे हे सबके जज्बात।
बन के बइला पेरावत हे, पइसा के खातिर दिनरात।।

जिनगी के सब सुख  सुविधा बर, जोड़त हे साधन भरपूर।
मजा नहीं अइसन जिनगी मा, होवत हे सब सपना चूर।।

विशिष्ट पोस्ट

रूपमाला छन्द

you tube में सुने साँस मोरे जब जुड़ावय, तोर अचरा पाँव। जब जनम लँव मँय दुबारा, तोर ममता छाँव। मोर दाई  तोर बर हम , हाँस के दँन प्र...