हाथ जोड़ के करँव आरती , दाई सुन मोरो गोहार।
तोर लेड़गा कोदा लइका, माथ नवाँ करथव जोहार।
नइ जानव मँय पोथी पतरी,भटकट दुनियाँ के बाजार ।
डगमग डोलय मोरे नइया, फँसे बीच मा हे मजधार।
मोर शारदे दाई तोरे, महिमा हे वो अपरम्पार।
तोरे किरपा मोला मिलगे, सदगुरु चरण के उपकार।
गुरु चरण मा सीखें हाँवव , आखर दू आखर सिरजाय।
झन भटकँव मँय गलत राह मा, गुरुदेव हा पार लगाय ।
छन्द के छ हा कक्षा नो हय, साधक मन के हे परिवार।
सबे सीखथे अउ सीखाथे ,लिख लिख के जी बारम्बार।
उदिम करत हन सब झन मिलके, छन्द जगत के हम मजदूर।
छत्तीसगढ़ी साहित कोठी, भरे रहय जी अब भरपूर।
माता रानी के पय्या पर , बिनती कर के माथ नवाँव।
छत्तीसगढ़िया छन्द आल्हा,आपके आघु आज सुनाँव।
तोर लेड़गा कोदा लइका, माथ नवाँ करथव जोहार।
नइ जानव मँय पोथी पतरी,भटकट दुनियाँ के बाजार ।
डगमग डोलय मोरे नइया, फँसे बीच मा हे मजधार।
मोर शारदे दाई तोरे, महिमा हे वो अपरम्पार।
तोरे किरपा मोला मिलगे, सदगुरु चरण के उपकार।
गुरु चरण मा सीखें हाँवव , आखर दू आखर सिरजाय।
झन भटकँव मँय गलत राह मा, गुरुदेव हा पार लगाय ।
छन्द के छ हा कक्षा नो हय, साधक मन के हे परिवार।
सबे सीखथे अउ सीखाथे ,लिख लिख के जी बारम्बार।
उदिम करत हन सब झन मिलके, छन्द जगत के हम मजदूर।
छत्तीसगढ़ी साहित कोठी, भरे रहय जी अब भरपूर।
माता रानी के पय्या पर , बिनती कर के माथ नवाँव।
छत्तीसगढ़िया छन्द आल्हा,आपके आघु आज सुनाँव।