आही आही आही वोला मोर सुरता आही।
मोर मयारू बहाना बना के बलाही।
आही आही आही वोला मोर सुरता आही।
गाना गा गा के बइहा हा सीटी बजाही।
आही आही आही वोला मोर सुरता आही।
खाना खाही चाबत चाबत जीभ हा चबही।
पानी पियत देख लेबे फट ले अटक जाही।
कव्वा बोलत छान्ही मा सुध मोर लमाही।
रतिहा भर जाग जाग दिन मा उँघाही।
बइठे बइठे घर भीतरी मोबाइल दबाही
आही आही आही वोला मोर सुरता आही।
के दिन ले मयारू सँगी मोर ले रिसाही।
बिन बोले मोर मन ला कतका जलाही।
अनबोलना अउ कतका मोला सतही।
कतको जतन कर ले बैरी कइसे बिस्राही।
आही आही आही वोला मोर सुरता आही।
संझा बिहना भँवरा मोर गली मा आथे
आती जाती मोला देख देख मुस्कुराथे।
देख देख देख मोला हपत के गिर जाथे।
मुहाटी म साइकिल के चैन चढाथे।
मोर सुरता हा सुरता के नार ल लमाही।
आही आही आहौ वोला मोर सुरता आही।