मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
कोलिहा लवन , बलौदाबजार, छत्तीसगढ, India
नाम- मथुरा प्रसाद वर्मा पिता- स्व. जती राम वर्मा माता- श्रीमती पितरबाई वर्मा जन्मतिथि- 22-06-1976 जन्मस्थान - ग्राम -कोलिहा, जिला-बलौदाबाजार (छ ग ) कार्य - शिक्षक शा पु मा शाला लहोद, जिला बलौदाबाजार भाटापारा शिक्षा - एम् ए ( हिंदी साहित्य, संस्कृत) डी एड लेखन- कविता, गीत, कहानी,लेख,

लावणी छन्द: नवाँ बिहिनिया आही रे।


सुरुज के बिजहा ला बोंहव, अंधियारी के छाती मा।
तेल बना के लहू जराहंव, तन के दीया बाती मा।
बिरबिट कारी अँधियारी हे, तबले रात पहाही रे,
मोरे खांद म चढ़ के इक दिन, नवाँ बिहिनिया आही रे।

आगी सहीं जरत हे भुइँया,  सुरुज अँगरा बरसाथे।
प्यास म व्याकुल प्राणी मन ला, तरिया नदिया तरसाथे।
बादर के जब मया बरसही, माटी हर ममहाही रे।
मोरे खांद म चढ़ के इक दिन, नवाँ बिहिनिया आही रे।

मँय किसान के सिधवा बेटा, कपट कमाई नइ जानव।
मिहनत ले जे अन मिल जाथे,  अपन भाग के मँय मानव।
मोर सही अपने बाँटा ला, कोन बाँट के खाही रे।
मोरे खांद म चढ़ के इक दिन, नवाँ बिहिनिया आही रे।

परे रहे ले दसना मा जी,  नींद बाँह ला धर लेथे।
काम करइया तभे बिपत ले, झगरा जिनगी भर लेथे।
मिहनत के भट्ठी मा जागर, जोर त आलस जाही रे।
मोरे खांद म चढ़ के इक दिन, नवाँ बिहिनिया आही रे।

डरा डरा के सहत रहे ले, बइरी जादा बढ़ जाथे।
जिनगी भर के मुडपीरा बन, जब ये मुड़ मा चढ़ जाथे।
अतियाचारी रकसा कब तक, फ़ोर करेजा खाही रे।
मोरे खांद म चढ़ के इक दिन, नवाँ बिहिनिया आही रे।

कोई टिप्पणी नहीं:

विशिष्ट पोस्ट

रूपमाला छन्द

you tube में सुने साँस मोरे जब जुड़ावय, तोर अचरा पाँव। जब जनम लँव मँय दुबारा, तोर ममता छाँव। मोर दाई  तोर बर हम , हाँस के दँन प्र...