ये का हे तोर खुरापाती !
खेत-खार मा कतका बुता परे हे !
फेर तोर आँखी कोन कोती गड़े हे !
ए बाबा !
ते मोला बता
घान हा बोवागे,
खातु घलो छितागे,
त अउ का बुता परे हे ?
अरे बईहा !
जा बारी-बखरी ला बने निहार !
जा बारी-बखरी ला बने निहार !
चारो डाहार खरपतवार बाडहे हे
तेन ला चतवार !
ये बेलिया ,दुबी अउ किसम -किसम के कांदी मन
भकभक ले जामे हे ।
भाटा मिरचा अउ पताल बेसहारा
भुइयां मा लामें हे ।
जम्मो खातू के रोस ला
खरपतवार मन तीरत हे ।
खरपतवार मन तीरत हे ।
अउ साग -भाजी मन
मरत गिरत हे ।
मरत गिरत हे ।
देखते-देखत बारी मा
बन हा पट्टा जाही!
तोर का तभे चेत आही !
तोर का तभे चेत आही !
तेकरे सेती
इकर निंदाई जरूरी हे।
इकर निंदाई जरूरी हे।
फेर बबा !
मोरो एक ठन मजबुरी हे ।
मोरो एक ठन मजबुरी हे ।
हमर देश मा धलो चारो कोती
किसम -किसम के भष्टाचार के खरपतवार
उपज गेहे
जेन मन विकास योजना के खाद ला
चुसत हे ।
चुसत हे ।
फेर तोर दिमाग
मा
ये
बात
नई घुसत हे ।
नई घुसत हे ।
आम जनता कमा कमा के मरत हे !
फेर ऐ भ्रष्ट नेता अउ अधिकारी मन
काकरो सनसो नई करत हे ।
काकरो सनसो नई करत हे ।
चरो डहार भ्रष्टाचार, बेइमानी अऊ रिश्वतखोरी के जोर हे ।
जनता के सेवक बने सब
भ्रष्ट ,बेईमान अउ कामचोर हे।
भ्रष्ट ,बेईमान अउ कामचोर हे।
अउ जनता बिचारा होवत कमजोर हे ।
तेकरे सेती बबा मोर गोठ ल तै बने कान देके सुन।
अउ मने मन गुन ।
जइसे निंदाई बिना तोर खेत खार लाचार हे ।
वइसन हमर देश धलो ये रोग ले बिमार हे ।
जमो झिन अपनेच सनसो करही!
त मोर देश
मा
बाढ़त खरपतवार के निंदाई कोन करही ।