तै पढ़ा,तै पढ़ा , तै पढ़ा गुरूजी।
रहय कोनो झिन अड़हा गुरूजी।।
तै पढ़ा, तै पढ़ा ,तै पढ़ा गुरूजी।।
एक-एक कक्षा,सौ सौ लइका;
हर लइका ल ज्ञान दे ।
का व्यवस्था,का बेवस्था ;
एला तै झिन धियान दे।
तोरे भरोसा हे कइसनो कर फेर;
तही ह जोखा ल मढ़ा गुरूजी।।
तै पढ़ा, तै पढ़ा ,तै पढ़ा गुरूजी।।
जेन लइका स्कूल नई आवय,
ओला स्कूल म लाने ल परही।
निति हे शासन के चाहे बिन चाहे ;
तोला ,ओला माने ल परही ।
शिक्षा झिन मिलय फेर साक्षर बनाना हे।
नाव ल रजिस्टर म चढ़ा गुरूजी।।
तै पढ़ा तै पढ़ा तै पढ़ा गुरूजी ।
फोकट म सब ला ,सब कुछ चाही
नवा जमाना के इही लोकतन्त्र ये ।
चलनी म चाल फेर रजगा झन निकालबे
सस्ता लोकप्रियता के इही मूलमन्त्र ये।
खिंच-तान अउ ढकेल-पेल फेर;
सबो ल आघू बढ़ा गुरूजी।
तै पढ़ा, तै पढ़ा, तै पढ़ा गुरूजी।
न बने बिजहा,न उपजाऊ भुइयां;
न बने खातू , न हवा पानी ।।
परही तुतारी , तुही ल रे बइला;
तोरे भरोसा होही किसानी।।
न समय पे तोला मिलही रे चारा
फेर फसल रहय झन कड़हा गुरूजी ।।
तै पढ़ा,तै पढ़ा, तै पढ़ा गुरूजी।
मथुरा प्रसाद वर्मा "प्रसाद'
ग्राम-कोलिहा ,लवन
बलौदाबाजार छ ग
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