नसा नस-नस मा समागे , आज के समाज के ।
नसा के गुलाम होगे , नवजवान आज के ।
पीढी -दर -पीढी एखर परचार चलत हे
अरे एखरे कमाई मा सरकार चलत हे ।
मोर घर छितका कुरिया अऊ, तोर महल अटारी हे ।
तोर घर रोज महफिल अऊ, मोर सुन्ना दुवारी हे ।
तहु भरपेट नई खावस, महु भरपेट नई खावव ,
तोला अब भूख नई लागय, अउ मोर जुच्छा थारी हे ।
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