122 122 122 12
*शक्ति छन्द*
बनाये बने राम संसार ला।
नहीं पाय कोनो कभू पार ला।
भवर मा फसाये किनारा बने।
तहीं आदमी के सहारा बने।
तहीं भूख दे पेट खाए सके।
दिए हाथ रोटी कमाए सके।
जिहाँ चाह दे राह दे हस तहीं।
विधाता कहूँ तोर जइसे नहीं।
बिगाड़े बनाये मिटाए तहीं।
कि जीना सबे ला सिखाए तहीं।
अभी घाम हे छाँव हो के रही।
इही जिंदगी के कहानी सही।
हवे प्यास पानी घला हे इँहा।
बिपत हे तभे हौसला हे इँहा।
कहीं दुख कहीं सुख रचाए तहीं।
भरे भाव दुनियाँ बनाए तहीं।
*शक्ति छन्द*
बनाये बने राम संसार ला।
नहीं पाय कोनो कभू पार ला।
भवर मा फसाये किनारा बने।
तहीं आदमी के सहारा बने।
तहीं भूख दे पेट खाए सके।
दिए हाथ रोटी कमाए सके।
जिहाँ चाह दे राह दे हस तहीं।
विधाता कहूँ तोर जइसे नहीं।
बिगाड़े बनाये मिटाए तहीं।
कि जीना सबे ला सिखाए तहीं।
अभी घाम हे छाँव हो के रही।
इही जिंदगी के कहानी सही।
हवे प्यास पानी घला हे इँहा।
बिपत हे तभे हौसला हे इँहा।
कहीं दुख कहीं सुख रचाए तहीं।
भरे भाव दुनियाँ बनाए तहीं।
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