ए अभिमानी गरब करे का, ये माटी तन के।
माटी मा मिलही ये चोला, सब माटी बन के।1।
काल लिखे हे अपन कलम मा, मरना सब झन के।
महुँ मिटाहूँ तहूँ मिताबे , पाट दिही खन के।2।
माटी गोटी जोर जोर के, बनगे महल बने।
छोड़ छाड़ के जाना परही, रोवत मने मने।३।
पल भर क हेे ये जग मेला, छिन भर तोर मया।
सब चल देही छोड़ एक दिन, लागे नही दया।4।
कोनो सँग मा नइ जावय जी, अब मत समय गवाँ।
मिलखी मारत भूल जही सब, मिलही मीत नवाँ ।5।
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