चौपई
भले लेड़गा हँन महराज। हम हर नोहन धोखेबाज।।
बइसुरहा बन घुमथन आज। हमीं सबो के खोलन राज।।
मोर बात करले बिस्वास । करू करेला सहीं मिठास।।
हँसी ठिठोली करथँव खास। करव कपट के सत्यानास।।
पढे लिखे के का पहिचान। अंग्रेजी मा हाँकय ज्ञान ।।
सास ससुर के कहना मान। तोर सुवारी हे भगवान।
पर के बेटी जब घर लान। परबुधिया होवय सन्तान।।
बोझा दाई ददा ल जान। कुटुम कबीला बैरी मान ।।
पढ़े लिखे सब बिरथा आय।अनपढ़ मन हर देश चलाय।।
तोर योग्यता चूल्हा जाय। नौकरी घूस देवय पाय।।
चिरहा चिथड़ा फ़इसन आय।डम्मक ढ़य्या नाचय गाय।।
लाज सरम ला बेंचय खाय। लइका मन के मन भरमाय।।
अगड़म बगड़म खाना खाय। खाखा के सब पेट फुलाय।।
सेंट लगा के सब बस्साय । पउडर पोतय अउ इतराय।।
मनखे मनखे ला नइ भाय। बात बात मा मुँहू लडाय।।
भाई भाई के काटय घेच। पइसा बर दय लइका बेंच।।
क्रमशः......
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