मोर सिखोंना धरले आज। बात कहे हे गुरु महराज।।
तोर मूड़ नइ गिरही गाज। बन जाही सब तोरे काज।।
तोर मूड़ नइ गिरही गाज। बन जाही सब तोरे काज।।
सूरज ले पहली तँय जाग। मात पिता के पइयाँ लाग।।
बिपत परे नइ चाबय नाग। जाग जही जी तोरो भाग।।
बिपत परे नइ चाबय नाग। जाग जही जी तोरो भाग।।
दिन दुखिया के बने सहाय। पर पीरा बर जिया दुखाय।।
देश धरम बर जान गवाय। ये जिनगी बड़ भागी पाय।।
देश धरम बर जान गवाय। ये जिनगी बड़ भागी पाय।।
घर के झगरा घर मा टार। झन कोनो ला ताना मार।।
गाँव गली अउ खेती खार। रख सबले मीठा व्यवहार ।।
गाँव गली अउ खेती खार। रख सबले मीठा व्यवहार ।।
साफ सफाई जिनगी राख। गिरय नही जी तोरो साख।।
बड़े बड़े मनखे के धाक। रोग गरीबी करथे खाक।।
बड़े बड़े मनखे के धाक। रोग गरीबी करथे खाक।।
बिपत परे मत मानव हार। धर के धीरज कर उपचार।।
पर के झन लेवव उपकार। अपन बाट अपने चतवार।।
पर के झन लेवव उपकार। अपन बाट अपने चतवार।।
मर जा तँय पर ले मत माँग। कभू न पीना गाँजा भाँग।।
पर के काज अड़ा झन टाँग।दउड़ भले ले दू फललाँग।।
पर के काज अड़ा झन टाँग।दउड़ भले ले दू फललाँग।।
बइरी के आघू गुनगान । फेर सँगी के सही बखान ।।
गोठ अपन भाई के मान। सच के खातिर तज दे प्रान।।
गोठ अपन भाई के मान। सच के खातिर तज दे प्रान।।
गाँठ बाँध ले एक्के सार। समय न फिर के आवय द्वार।।
पहिली उतरे देखे धार ।। भवसागर ले पाबे पार।।
पहिली उतरे देखे धार ।। भवसागर ले पाबे पार।।
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