बहुत अभिमान मँय करथँव
छत्तीसगढ़ के माटी मा ।
मोर अंतस जुड़ा जाथे
बटकी भर के बासी मा।
ये माटी नो हय महतारी ये
एखर मान तुम करव
बइला आन के चरतथे
काबर हमर बारी मा ।।
छत्तीसगढ़ के माटी मा ।
मोर अंतस जुड़ा जाथे
बटकी भर के बासी मा।
ये माटी नो हय महतारी ये
एखर मान तुम करव
बइला आन के चरतथे
काबर हमर बारी मा ।।
मय तोरे नाँव लेहुँ
तोर गीत गा के मर जाहूँ ।।
जे तँय इनकार कर देबे
तोर गीत गा के मर जाहूँ ।।
जे तँय इनकार कर देबे
त कुछु खा के मर जाहूँ।।
अब तो लगथे ये जी हा जाही
संगी तोरे मया मा
कहूँ इकरार कर लेबे
त मँय पगला के मर जाहूँ।।
अब तो लगथे ये जी हा जाही
संगी तोरे मया मा
कहूँ इकरार कर लेबे
त मँय पगला के मर जाहूँ।।
ये कइसे पथरा दिल ले
मँय हा काबर प्यार कर डारेव ।। जे दिल ला टोर के कहिथे
का अतियाचार कर डारेव ।।
नइ जानिस वो बैरी हा
नइ जानिस वो बैरी हा
कभू हिरदय के पीरा ला जेकर मया मा जिनगी ला
मँय अपन ख़्वार कर डारेव।।
मोर घर म देवारी के
दिया दिनरात जलते फेर।।
महूँ ल देख के कोनो
महूँ ल देख के कोनो
अभी तक हाथ मलत फेर।।
मैं तोरे नाव ले ले के
अभी तक प्यासा बइठे हौ
मोरो चारो मु़ड़ा घनघोर
मोरो चारो मु़ड़ा घनघोर
बादर बरसथे फेर।।
महू तरसे हँव तोरे बर
तहुँ ला तरसे ला परही मँय कतका दुरिहा रेंगे हँव
तहूँ ला सरके ला परही।।
मँय तोरे नाँव के चातक
मँय तोरे नाँव के चातक
अभी ले प्यासा बइठे हँव,
तड़प मोर प्यास मा होही
तड़प मोर प्यास मा होही
त तोला बरसे ला परही।
मोर घर छितका कुरिया अऊ,
तोर महल अटारी हे ।।
तोर घर रोज महफिल अऊ,
तोर घर रोज महफिल अऊ,
मोर सुन्ना दुवारी हे ।।
तहु भर पेट नई खावस,
तहु भर पेट नई खावस,
महु भर पेट नई खावव
तोर अब भूख नई लागय,
तोर अब भूख नई लागय,
मोर करा जुच्छा थारी हे ।
ओखर हक मा नइ आवय फूल,
जे काँटा आन बर बोंही।
के दिनभर हाँसही चाहे,
कलेचुप साँझ के रो ही।
पीरा ला देख के कखरो ,
कभू तँय झन हाँसे कर ,
आज मोर साथ होवत हे,
काली तोर साथ मा हो ही।
नसा नस-नस मा समागे, आज के समाज के ।
नसा के गुलाम होगे , नवजवान आज के ।
पीढी -दर -पीढी एखर परचार चलत हे
अरे एखरे कमाई मा सरकार चलत हे ।
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