बिनती सुन से मोर प्रभु, करबे तँय उद्धार जी।
पालन हारी जान के, आए हँव मँय द्वार जी।
नहीं नहीं कोई कहे, कोई दय दुत्कार जी।
माँग माँग के जिन्दगी, लगही बेड़ापार जी।
सुन्दर तोरे सुन्दरी, रुप रंग अउ चाल वो।
माते हाँवव देख के, होगे हँव कंगाल वो।
मूरख तन के का गरब, बिरथा एखर प्रीत जी।
माटी माटी मा मिलय, इही जगत के रीत जी।
माटी महतरी सहीं, सहिथे सबके भार ला।
कोन जगत मा छूटही, ममता के उपकार ला।
माटी होगे रे इहाँ, बड़े बड़े बलवान मन।
का संगी धन के गरब, का ले गे इंसान मन।
मनखे मनखे एक हे, छोट बड़े न कोय रे।
फल तोला मिलही उही, जइसन बिजहा बोंय रे।
2
कीमत मनखे के कहाँ, महिमा पइसा के जिहाँ।
मानवता ह नँदात हे, मनखे मनखे खात हे।
जंगल के सब जानवर, हे बस गे आ के सहर।
पछतावत मन मार के, जंगल जमो उजार के।
जहर हवा मा धोरथे, भट्ठी मा सब जोरथे
ये नेता मन टोरथेअपने बने बटोरथे।
आघु पाछु वो डोल के, अउ जनता ला तोल के।
बेंचत हे बिनमोल के, खावत हे सब झोल के।
मोर गाँव के डोकरा, अउ सँग मा छोकरा।
मार मार के बोकरा, सब खावत हे वो करा।
तिवरा भाजी राँध के,
भउजी भेजय बाँध के।
भइया खावय चाँट के, मया बरोबर बाँट के।
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