मोर दुर्गा दाई, चरण ल तोर पखारँव।
अपन चरण के दास बना ले, अँगना तोर बहारँव।
जनम सफल हो जाथे जबजब, नाँव ल तोर उचारँव।
दिन दुखी के आस तहीं वो, कोन द्वार गोहारँव।
कर के किरपा दरसन दे दे, जब जब नैन उघारँव।
जीत हार सब बिरथा जग के, दर तोरे सब हारँव।
भाव भजन नइ आवय मोला, जुच्छा चरण दुलारँव।

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