साथ मा उखरे सदा जन जन चलय।
तोल के जउने जबो के मन चलय।
काम आथे आदमी के हौसला,
जब बिपत मा छोड़ के सब झन चलय।
तोर छाती पोठ कर पथरा सहीं ,
बिन सहे काकर इँहा जीवन चलय।
देख के अनियाव मँय ललकारहूँ।
सामने गोली भले दनदन चलय।
का डराही मउत ले वो मन भला,
जान ले के हाथ मा जेमन चलय।
जीत उखरे चूमथे खुद पाँव ला
हार ला बोझा बनाये झन चलय।
नाँव उखरे लेत हे संसार भर
छोड़ के घर बार जे मन बन चलय।
मापनी 2122 2122 212
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