अउ दही के भोरहा कपसा घलो ला खाँव।
झन कहूँ बिजहा मया के बोंय के पछताय।
लेस दे जे घर अपन वो मोर सँग मा आय।
मँय कबीरा मँय ह मीरा, मँय ह अनगढ़ गीत।
जीत के सब हार गे हँव, हार के जग जीत।
मोर धन ला बाँट कतको, रोज बाढ़त जाय।
लेस दे जे घर अपन वो मोर सङ्ग मा आय।
फूल पर के भाग काँटा मोर हे तकदीर ।
मोर मन ला भाय सिरतों ये मया के पीर।
रोय भीतर फेर बाहिर हाँस के मुस्काय।
लेस दे जे घर अपन वो मोर सँग मा आय।
घाम सह के प्यास रह के जे नही अइलाय।
जे भरोसा राम के तुलसी सहीं हरियाय।
मोर बिरवा हा मया के रातदिन ममहाय।
लेस दे जे घर अपन वो मोर सँग मा आय।
2122 2122, 2122 21
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