लोकतंत्र के महा परब हे, आवत हे अब फेर चुनाव।
ध्यान लगा के सबझन सुनलव, लोकतंत्र के महिमा गाव।।
ध्यान लगा के सबझन सुनलव, लोकतंत्र के महिमा गाव।।
लोकतंत्र मा जनता राजा, अउ प्रतिनिधि मन सेवक आय।
चुनथे जनता मन नेता ला, बने बने वो राज चलाय।।
फेर आजकल उल्टा गंगा, बोहावत हे चारो ओर।
राजा बनगे ये नेता मन, जनता होगे हे कमजोर।।
काबर अइसन होवत हे जी, काबर बढ़गे अत्याचार।
का का गलती हमन करत हन, सोच समझ के करव सुधार।।
धन बल जेखर हावै जादा, ओखर चलथे काबर जोर।
जनता रोवय करम ठठा के, कुर्सी पाथे करिया चोर।।
जेला होना जेल चाहिए, वोहू मन बइठे दरबार।
लूटत हावे आज देश ला, राजनीत के बने अजार।।
अपराधी मन नेता बन के, फैलावत हे भ्रष्टाचार।
कोन बचाही राजनीत ला, माते हावे हाहाकार।।
हमरो हावे दोष बहुत जी, हमी करे हन गलत चुनाव।
अपन ओट ला बेंच डरे हन, औने पौने करके भाव।।
कभू चुनत हन जात देख के, कभू धरम बर कर मतदान।
लालच मा पर वोट गवाथन, माते हावन कर मदपान।।
कभू योग्यता नइ देखन जी, जनहित कोन करत हे काज।
कोन मयारू माटी के हे, कोन चलाही बढ़िया राज।।
पढ़े लिखे विद्वान रहे जे , करे देश के जे सम्मान।
नेता उही ल चुन के भेजव, जे हर सत बर दे दय प्रान।।
लोकतंत्र मा बहुत जरूरी, होथे जी जनता के ओट।
वोट करव जी बने विचारे, मन मा राखव झन जी खोट।।
हाथ जोड़ के बिनती करथव, सोच समझ करना मतदान।
संसद मन्दिर लोकतंत्र के, बने रहय ओकर सम्मान।।
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