कर जोर के तोरे चरण, माथा नवाँ पइयाँ परँव।
हे नम नयन सुरता धरे, श्रद्धा सुमन अर्पित करँव।।
माटी हवे बड़ धन्य जी, तोरे असन पा लाल ला।
करके जतन तँय हर चले,भारत ऊँचा के भाल ला।।
हे नम नयन सुरता धरे, श्रद्धा सुमन अर्पित करँव।।
माटी हवे बड़ धन्य जी, तोरे असन पा लाल ला।
करके जतन तँय हर चले,भारत ऊँचा के भाल ला।।
लड़ते रहे बाहर भीतर, नइ हार माने हार के।
पीरा सहे अपने अपन, चिंता करे संसार के।।
जीवन मरण सुख दुःख सदा, सम जान के स्वागत करे।
तँय काल के भी गाल मा,हाँसत सदा चुम्बन धरे ।।
पीरा सहे अपने अपन, चिंता करे संसार के।।
जीवन मरण सुख दुःख सदा, सम जान के स्वागत करे।
तँय काल के भी गाल मा,हाँसत सदा चुम्बन धरे ।।
माँ भारती के लाल तँय, तोला नमन सत सत हवे।
झुक के तिरंगा मान दय, माथा हिमालय के नवे।।
चाहे रहौं मँय मत रहौं, सिरमौर ये भारत रहे।
ये विश्व गुरु भारत हरे, सँसार ला तँय हर कहे।।
झुक के तिरंगा मान दय, माथा हिमालय के नवे।।
चाहे रहौं मँय मत रहौं, सिरमौर ये भारत रहे।
ये विश्व गुरु भारत हरे, सँसार ला तँय हर कहे।।
होके अटल अविचल रहे, विपदा घलो मा नइ टले।
मँय हार नइ माँनव कभू ,ये गीत तँय गावत चले।।
कवि तोर कस कोमल हृदय,दृढ़ता रहे चट्टान कस।
नेता बने बेदाग अउ, तँय देश के पहिचान हस।।
मँय हार नइ माँनव कभू ,ये गीत तँय गावत चले।।
कवि तोर कस कोमल हृदय,दृढ़ता रहे चट्टान कस।
नेता बने बेदाग अउ, तँय देश के पहिचान हस।।
बड़का करे सँसार मा ,तँय हर धरा के मान ला।
अउ बोल निज भाखा बनाये, देश के पहिचान ला।।
हर कंठ तोरे शब्द हे ,कविता सकल जग गात हे।
धरके अपन कोरा तको, माटी घलो ममहात हे।।
अउ बोल निज भाखा बनाये, देश के पहिचान ला।।
हर कंठ तोरे शब्द हे ,कविता सकल जग गात हे।
धरके अपन कोरा तको, माटी घलो ममहात हे।।
विपदा सहे, पीड़ा पिये, तब ले अटल धीरज धरे।
हर पल जिए तँय देश बर, तनमन अपन अर्पित करे।।
सुकुवा सहीं आगास मा, हावे अटल अब नाम हे।
हे पोखरण के बीर तोला आखरी परणाम हे।।
हर पल जिए तँय देश बर, तनमन अपन अर्पित करे।।
सुकुवा सहीं आगास मा, हावे अटल अब नाम हे।
हे पोखरण के बीर तोला आखरी परणाम हे।।
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