राधा तोला आना होही, मोर बाँसुरी सुन काली।
जमुना तट मा महारास हे, सुरता रखबे मतवाली।
गोप गोपिका सब झन आही, बँधा मया के डोरी मा।
तोला खोजत रही नैन हा, राधा कहाँ किशोरी मा।
मया करे मा सचमुच कहिथँव, ये जग बैरी हो जाथे।
फूल बाँटने वाला मन बर, काँटा सब झन बगराथे।
जेन ह पीरा सह के गाथे, गीत मया के राधा रे।
मया करइया मन ला कोनो, राक सके ना बाधा रे।
तहूँ चले आबे जानत हँव, करबे देरी झन रानी।
नइ ते बिरहा के आगी मा, जरही जमुना के पानी।
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