16, 14 अंत मा तीन गुरु
मोर मयारु मया भूलागे, मोला नइ पहिचाने रे।
मोर मया ला काँदी कचरा, माटी पथरा जाने रे।
हिरदय के धड़के ले संगी , सुरता तोरे आथे
रे।
जब जब लेथँव साँस मोंगरा, के जइसे ममहाथे रे।
तोरे खातिर मँय बइहा बन, गली गली गाथँव गाना।
गाँव गाँव मँय नाँचत फिरथँव, पहिरे जोगी
कस बाना।
रतिहा भर सपनाथँव तोला, गवाँगे बिहाने रे।
तोर नशा मा झूमत रहिथँव, का मोहनी खवाए रे।
रद्दा देखँव तोर रात दिन, फेर नहीं तँय आए रे।
हाँसस बोलस पहिली कइसे, अब का हो गे हे तोला।
कोन जनी का गलती हो गे, काबर बिसरी दे मोला।
अपन बना के काबर गोरी, मोला कर दे आने रे।
ये दुनियाँ तो मया करइया मनखे बर खनही खाँचा।
काबर तँय हा डर्राखस वो, मोर मया हर हे साँचा।
मोर कलपना जाय न बिरथा तहूँ समझबे रानी रे।
पथरा कस हिरदय पिघलाही, मोर नैना के पानी रे।
सुधबुध मोर भुलागे बइरी, तँय कइसे मनमाने रे।
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