मनखे हो के मनखे खातिर, मन मा धरे नहीं पीरा।
माटी के महिमा नइ जाने, गँवा दिए कइसे हीरा।
बिरथा तन के गरब करे अउ, मया प्रित ला जाने ।
रुपिया पइसा धन दौलत बर, हपटत हावय मनमाने।
अइसन धन ला घुन्ना खाथे, तन मा लग जाथे कीरा।
मनखे हो के मनखे खातिर, मन मा धरे नहीं पीरा।
जात धरम के खाँचा खन खन, काबर बोंवत हे काँटा।
निज स्वारथ मा चानी चानी, होगे मनखे के बाँटा।
अमरित राना मन पीथे अउ, जहर इहाँ पीथे
मीरा।
मनखे हो के मनखे खातिर, मन मा धरे नहीं पीरा।

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