मेरे बारे में

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कोलिहा लवन , बलौदाबजार, छत्तीसगढ, India
नाम- मथुरा प्रसाद वर्मा पिता- स्व. जती राम वर्मा माता- श्रीमती पितरबाई वर्मा जन्मतिथि- 22-06-1976 जन्मस्थान - ग्राम -कोलिहा, जिला-बलौदाबाजार (छ ग ) कार्य - शिक्षक शा पु मा शाला लहोद, जिला बलौदाबाजार भाटापारा शिक्षा - एम् ए ( हिंदी साहित्य, संस्कृत) डी एड लेखन- कविता, गीत, कहानी,लेख,

मोर देश मा बाढ़त खरपतवार के निंदाई कोन करही ।



बबा कहिथे  कस  रे नाती !
ये का हे तोर खुरापाती !

खेत-खार मा कतका बुता परे हे !
फेर तोर आँखी कोन कोती गड़े हे !

ए बाबा !
ते मोला बता
घान हा बोवागे,
खातु घलो  छितागे,
त अउ का बुता परे हे ?

अरे बईहा ! 
जा बारी-बखरी ला बने निहार !
चारो डाहार खरपतवार बाडहे हे
तेन ला चतवार !

ये बेलिया ,दुबी अउ किसम -किसम के कांदी मन
भकभक ले जामे हे ।
 भाटा मिरचा अउ पताल  बेसहारा 
भुइयां मा लामें हे ।

जम्मो खातू  के रोस ला 
खरपतवार मन  तीरत  हे  ।
अउ साग -भाजी मन
 मरत गिरत हे ।

देखते-देखत बारी मा
बन हा  पट्टा जाही!
तोर का तभे चेत आही !

तेकरे  सेती
 इकर निंदाई जरूरी हे।
फेर बबा ! 
मोरो एक ठन मजबुरी हे ।

हमर देश मा धलो चारो कोती
किसम -किसम के भष्टाचार के खरपतवार
उपज गेहे
जेन मन विकास योजना के खाद ला 
चुसत हे ।
फेर तोर  दिमाग मा ये बात 
नई घुसत हे ।

आम जनता कमा कमा के मरत हे !
फेर ऐ भ्रष्ट नेता अउ  अधिकारी  मन
 काकरो सनसो नई करत हे ।



चरो डहार भ्रष्टाचार, बेइमानी अऊ  रिश्वतखोरी  के जोर हे ।
जनता के सेवक बने सब
 भ्रष्ट ,बेईमान अउ कामचोर हे।
अउ जनता  बिचारा होवत कमजोर हे ।

तेकरे सेती बबा मोर गोठ ल तै बने कान देके सुन।
अउ मने मन गुन ।

जइसे निंदाई बिना तोर खेत खार लाचार हे ।
वइसन हमर देश धलो  ये  रोग ले बिमार हे ।

जमो झिन  अपनेच  सनसो करही!
त मोर  देश मा बाढ़त खरपतवार के निंदाई कोन करही ।

हाइकु


ए मनटोरा
आ जाबे मोर घर
तोर  अगोरा

रात पहागे
काबर मोर घर
घुप अंधेरा ।

गरू हो जाथे
बाढ़े बेटी घलो हा
मुड़ के बोझा ।

चुनाव आगे
घर घर पउवा
रोज बटाही

का मजबुरी
विधायक बनगे
रेमटी टुरी ।

ग्राम सुराज
जुरमिल मसक
काय के लाज ।

ग्राम सुराज
सरपंच के दारू
कुकरा आज ।

तोर नाव के
हाथ मा गोदना हे
मन मा मया ।

दिया बुझागे
गरीब के घर मा
तेल सिरागे ।

पढ़ डारेस
अब सड़क नाप
मिलगे ठेका ।

मोर दुवारी
संसद होगे कर
चुगली चारी ।

शिक्षित माने
अब कोनो काकरो
काबर माने ।

नवा जमाना
पेट  के भितर ले
जम्मो सियाना ।

का रे कारी, कारी नैना हा तोर !!




का रे कारी, कारी नैना हा तोर ।
अइसे मारे बान, जीव ल लेवत हे मोर ।

घर ले जब निकलथव, रुक रुक के चलथव ।
कतको सम्हलथव , मँय तभो ले हपटथव ।
खचवाँ डिपरा दिखय नहीं, दिखथे चेहरा तोर ।
 का रे   कारी, कारी नैना हा तोर ---

काबर तँय इतराथस, मोला देख के बिजराथस !
मोर तीर नइ बोलस अउ पर सँग बतियाथस !
मर जाँहु अइसे झन दाँत ला निपोर ।
का रे कारी,  कारी  नैना हा  तोर ---

झाँक ले न मन भीतर, सूरत मा झन जा।
अपन बना ले मोला, रानी मोर बन जा।
दिया बार कर दे ना जिनगी मा अंजोर---








प्रेरणा गीत : जीत उही ला मिलथे संगी

जीत उही ला मिलथे संगी,
                   नई थके जेन हार के
चलव, रुकव झन,हार मान तुम , 
                   मंजिल कहे पुकार के !

भागत- दउडत गिर जाथे जी,
                     बने-बने हा खसल के !
गिरे ले कौनो नइ गिर जाये,
                  जे उठ जाथे समहल के !

नानकुन चांटी चढ़ जाथे ; 
                      मुड मा  पहाड़  के   !
चलव, रुकव ................

गोंड  मा पर  के जे माटी  ह,
                    खूंदा-खूंदा  के सनाथे !
एक  दिन उही हड़िया बन, 
                मनखे  के प्यास  बुझाथे !


मांटी सही सहे ला परथे; 
                         पीर ला संसार के !!
चलव, रुकव ................

अपन भूखन लांघन रही के ,
                       पर के पेट ला भरथे !
पईयां लागव  मैं  किसान के,
                जे घाम, जाड सब सहिथे !


सूरज ले पहली उठ जाथे;
                   भिंसरहा मुन्धियार  के !
चलव, रुकव ................

आज तुम्हार राज के बीत गे जमाना !!

आज तुम्हर राज के बीत गे जमाना  !!
जाग गिस जनता तुम्हर नई हे ठिकाना !!

देखो-देखो नेताजी खिसलत हे कुरसी !
टोर के तिजोरी तुम्हर,भागत हे खजाना !!

बोतल के लालच म नई अब मिले वोट !
अब लेड़गा समारू घाले हो गे हे सियाना !!

मार के लबारी कब तक भूलवारे रहू हमला !
लबरा मन के अब नई चले बहाना !!

जनता के कमाई म मसकेव रसगुल्ला !
अब कहाँ पाहू  तुमन एको ठन  दाना !!

कुम्हकरनी नीद ला अब  टोरेच ला परही !
कभू बाबा रामदेव ,कहू बन के आन्ना !! 

घोटाला के घोल !

घोटाला के घोल पी-पी के ;
जम्मो झन्न घोला गेव रे !
जेकर खातिर नेता बनेव ;
उही जनता ला भुला गेव रे !

लोगन के गोड़ मा चप्पल नई हे ;
हवा म उडव बेईमान मन !
तुमन खाव्व छक्कत ले
भूखन मरे किसान मन !

अब तो फंदहू मुसवा कस
कहाँ  जाहु सैतान मन !
जेल के रोटी अगोरत हे तुमला ;
अमरव जल्दी जजमान मन !



भ्रष्टाचार के भुत !

बढत हे नवा-नवा कर अऊ महगाई
करमचारी मन के होवत हे छटाई
अरे भाई !
ये का अतियाचार हे

ये बाबा ते नि जानस,
हमर देश के अर्थव्यवस्था बीमार हे .

कईसे ?
कब ले परे हे ?
मूड पीरा  हे
कि जर धरे हे ?

घेरी-बेरी जर चघत हे ;
सरी जांगर कपकपावत हे ;
कनिहा पीरा हे;
अऊ
 नाक घलो चुचावावत हे ।

तभो ले डाक्टर मन
रोग नि बतावत हे .

सरकारी डाक्टर मन
एक-एक थान नाड़ी ला ब हे .
जनता के लहू निचो-निचो के
राजनिति के मईक्रोसकोप मा जाँचत हे .

अरे !
इही तो सरकारी अस्पताल के फेर हे ,
इंहा देर नहीं ,
अंधेर हे
!


जा ओला बने देख
बेसुध हे कि जगत हे ,
?

तै , न जनस बाबु ! वोला
भ्रष्टाचार के भुत धरे हे
तेन न भगत हे !



हे कुर्सी देव तोर महिमा हे भारी !

हे कुर्सी देव तोर महिमा हे भारी ।
देश के जम्मो नेता हे तोरे पुजारी ।
हमन ला रहिथे  तोरेच आसरा ;
चाहे बईठन हम, चाहे हमर सुवारी ।

तोरे दरस बर, बन जाथन भिखारी ।
तोरे खातिर जनता के सुनथन गा गारी ।
तोला गवा के कुकुर कस किंजरथन;
हवा मा उड़ाथन  जब बनथस संगवारी ।

घेरी-बेरी तोर खातिर मारत हन लबारी ।
तोर बिना नि होवे ककरो चिन्हारी !
तोर किरपा होवे मा, झडकथन रसगुल्ला।
तोर बिना पर जाते कहते बर थारी ।

तोर ऊपर बैठ के ,तोर करथन सवारी ।
पाँच बच्छर फेर नि पवन अब हमन बारी ।
आज जेन मन हमर आगू पछु गिजरथे;
हांव-हांव करही वो कुकुर मन सरकारी ।




हो गेहे रे मन मोर बावरा हो गेहे !!

हो गेहे  रे ..........
मन मोर बावरा 
 हो गेहे !!
खो गेहे रे .......
गांव के गली मा
खो गे हे !

गांव के माटी जैसे चन्दन !
झूमे तन मोर ,नाचे मन !

मन  आके मगन इन्हाँ  हो गे हे !!

बाइला के घंटी घन-घन,घन-घन  !
चूहे माथा के पसीना जैसे कुंदन !!

घटा करिया सघन इंहा हो गे हे !!

खेत खर हरियाली छाही जी
घर घर माँ खुशिहाली आही जी

देखो करिया गगन हो गे हे !!

खपरा ले चूहे मोती छन-छन  !
नरवा नदिया के चढ़ गे यौवन !

धरती के बदन धो गे हे !!

आज के मार्डन नारी मन !


आज के मार्डन नारी मन ।
ये फैसन के पुजारी मन ।
मार डारिन गा हमला संगी,
ये बड़भारी बीमारी मन ।


अपन  करै सब ठठ्ठा हंसी ।
हमर घेच माँ लगथे फासी। 
हमर हो जाथे बदनामी, 
बाँच जथे कुवारी मन ।

कपडा पहिरे आनी-बानी।
इसनो पाउडर  के मनमानी।
देखत जीवारा मा उतरथे,
ये मीठी कटारी मन।

चटक मटक  दिखे सनान।
अऊ नैना के मारे  बान।
छीन भर मा ले लेते परान,
ये चतुर  शिकारी मन।

रूप के ये मन जाल  बिछा के।
कभू  हांस के कभू लजा के।
बेंदरा सरिक नांच नचाथे;
हमला ये मदारी मन। 


हम तो अड़हा केअड़हा रही गेन
कोनो ला कुच्छु नइ कहेंन।
हमर समझ मा कभू नइ आइस;
अइसन दुनियादारी मन।


घर के राज दुलारी मन। 
ये कनियाकुवारी मन।
हमर जान  के दुश्मन आय।
बाँच के रहू संगवारी मन।



जनता के मरे बिहान होगे रे !!

जबले  नेता मन बइमान होगे रे ।
जनता के मरे बिहान होगे रे ।

जांगर ओथिहा मन के भाग लहुटगे
लापरह मन जम्मो धनमान होगे रे ।


कमइया मन के पेट जरत हे ,
अऊ भुखर्रा किसान हो गे रे ।

चोराहा, डाकू , अऊ ठग जग मन,
कैसे देश के सियान होगे रे .

पढ़े लिखे मन निचत ठगा गे
जकला  भकवा   सग्यान  होगे रे।

मंदहा, गंजगा ,अऊ जुटहा  मन सब
अब कुरसी माँ विराजमान होगे रे ।

राम किशन के नाम नंदा गे
कलयुग के इही मन भगवान होगे रे ।


जब  ले  हमर  सरकार बेईमान हो गे रे ,
जनता के मरे बिहान होगे रे ।


छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया



छत्तीसगढ़िया  सबले बढ़िया , दुनियां ला ये बताना  हे !
आधा  पेट  खा  के  रे  संगी   जांगर  टोर  कमाना हे !

सोना-चाँदी, हिरा-मोती इंहां के धुर्रा माटी हे !
तभो ले शोषित दलित गरीबहा छत्तीसगढ़ के वासी हे !
रतिहा पहागे अब तो संगी .. नवा बिहनिया लाना हे !
आधा पेट .....................

खेत हमर कागद हे अऊ, कलम हमर बर नांगर हे 
हरियर-हरियर धान हमर करम के उज्जर आखर हे ! 
कौनो रहय अब अनपढ़  झन , पढ़ना अऊ पढ़ाना हे !
आधा पेट ..........................

जगे जगे रहिना हे संगी करना हे देश के रखवारी
रखवार बन के करते वो मन घर घर माँ चोरी !
बेंच दिही लालच में आ के  इंकार का ठिकाना हे  
घर माँ लुकाये चोर मन ले मोर छत्तीसगढ़ ला बचाना हे!

मोर छत्तीसगढ़ के भुइयां

मोर धरती मोर मईयां, मोर छत्तीसगढ़ के भुइयां।
तोर बेटा आन दाई वो, परत हन तोर पईयां ।

तोर कोरा मा हमन दाई, आये हवन वो ।
बड भागी आन माया  पाए हवन वो ।

हमर जिनगी नइया के तँय हर खेवइया  ।
तोर बेटा आन दाई वो, परत हन तोर पईयां ।

महानदी के इन्हां बोहत हे अमृत कस पानी ।
कलकल करय इंदिरावती गाये  गुरुतुर बनी ।

अरपा-पैरी, शिवनाथ, हसदो तोर गोड़ धोवइया
तोर बेटा आन दाई वो ,  परत हन  तोर पईयां ।

जुल मिल के जम्मो झंन  तोर कोरा मा रहिथन ।
तहीं हां सब के महतारी , तोरे गुण ला गाथन ।

तोर रक्षा खातिर दाई हम अपन जान देवइया 
तोर बेटा आन दाई वो, परत हन  तोर पईयां ।



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