ये फैसन के पुजारी मन ।
मार डारिन गा हमला संगी,
ये बड़भारी बीमारी मन ।
अपन करै सब ठठ्ठा हंसी ।
हमर घेच माँ लगथे फासी।
हमर हो जाथे बदनामी,
बाँच जथे कुवारी मन ।
कपडा पहिरे आनी-बानी।
इसनो पाउडर के मनमानी।
देखत जीवारा मा उतरथे,
ये मीठी कटारी मन।
चटक मटक दिखे सनान।
अऊ नैना के मारे बान।
छीन भर मा ले लेते परान,
ये चतुर शिकारी मन।
रूप के ये मन जाल बिछा के।
कभू हांस के कभू लजा के।
बेंदरा सरिक नांच नचाथे;
हमला ये मदारी मन।
हम तो अड़हा केअड़हा रही गेन
कोनो ला कुच्छु नइ कहेंन।
हमर समझ मा कभू नइ आइस;
अइसन दुनियादारी मन।
घर के राज दुलारी मन।
ये कनियाकुवारी मन।
हमर जान के दुश्मन आय।
बाँच के रहू संगवारी मन।
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