हो गेहे रे ..........
मन मोर बावरा
हो गेहे !!
खो गेहे रे .......
खो गेहे रे .......
गांव के गली मा
खो गे हे !
गांव के माटी जैसे चन्दन !
झूमे तन मोर ,नाचे मन !
गांव के माटी जैसे चन्दन !
झूमे तन मोर ,नाचे मन !
मन आके मगन इन्हाँ हो गे हे !!
बाइला के घंटी घन-घन,घन-घन !
चूहे माथा के पसीना जैसे कुंदन !!
घटा करिया सघन इंहा हो गे हे !!
खेत खर हरियाली छाही जी
घर घर माँ खुशिहाली आही जी
देखो करिया गगन हो गे हे !!
खपरा ले चूहे मोती छन-छन !
नरवा नदिया के चढ़ गे यौवन !
धरती के बदन धो गे हे !!
1 टिप्पणी:
वाह, हमर भाखा म घलव आप लिखत हावव... जय छत्तीसगढी...
छत्तीसगढ ब्लॉगर चौपाल म आपके सुवागत हावय.
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