घोटाला के घोल पी-पी के ;
जम्मो झन्न घोला गेव रे !
जेकर खातिर नेता बनेव ;
उही जनता ला भुला गेव रे !
लोगन के गोड़ मा चप्पल नई हे ;
हवा म उडव बेईमान मन !
तुमन खाव्व छक्कत ले
भूखन मरे किसान मन !
अब तो फंदहू मुसवा कस
कहाँ जाहु सैतान मन !
जेल के रोटी अगोरत हे तुमला ;
अमरव जल्दी जजमान मन !
जम्मो झन्न घोला गेव रे !
जेकर खातिर नेता बनेव ;
उही जनता ला भुला गेव रे !
लोगन के गोड़ मा चप्पल नई हे ;
हवा म उडव बेईमान मन !
तुमन खाव्व छक्कत ले
भूखन मरे किसान मन !
अब तो फंदहू मुसवा कस
कहाँ जाहु सैतान मन !
जेल के रोटी अगोरत हे तुमला ;
अमरव जल्दी जजमान मन !
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