हे खटारा फटफटी रे, अब सहारा तोर हे।
चार खरचा बाढ़ गे हे, कम कमाई मोर हे।।
रोज बाढ़े दाम काबर, कोंन जाने तेल के।
तँय चले सरकार जइसे, हम चलाथन पेल के।।
चार खरचा बाढ़ गे हे, कम कमाई मोर हे।।
रोज बाढ़े दाम काबर, कोंन जाने तेल के।
तँय चले सरकार जइसे, हम चलाथन पेल के।।
फूल जम्मो अब उजरगे, बाग सब वीरान हे।
लोग मन के लाज मरगे, गाँव भर समसान हे।।
मँय मया के बात बोलव, लोग बइरी हो जथे।
मोर रद्दा मा कलेचुप, को काँटा बो जाथे।।
लोग मन के लाज मरगे, गाँव भर समसान हे।।
मँय मया के बात बोलव, लोग बइरी हो जथे।
मोर रद्दा मा कलेचुप, को काँटा बो जाथे।।
काम करथन तोर मालिक, लोग लइका पालथन ।
तोर सुख बर अपन तन ला,घाम मा हम घालथन।।
माँग नइ पावन भले हक, पेट हमला टाँगथे।
मेहनत के बाद तन के ,भूख रोटी माँगथे।।
तोर सुख बर अपन तन ला,घाम मा हम घालथन।।
माँग नइ पावन भले हक, पेट हमला टाँगथे।
मेहनत के बाद तन के ,भूख रोटी माँगथे।।
तोर माला तोर पोथी, राख ले तँय हाथ मा।
हम मया के बात करबो, लोग मन के साथ मा।
तँय धरम के नाँव ले के, बाँट डर संसार ला।
हम उठाबो खांद मा जी, अब सबो के भार ला।
हम मया के बात करबो, लोग मन के साथ मा।
तँय धरम के नाँव ले के, बाँट डर संसार ला।
हम उठाबो खांद मा जी, अब सबो के भार ला।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें