लूट हक के देख चुप हे, सब सहय मन मार के।
हार मानय बिन लड़े ये, बात हे धिक्कार के।।
जान जावय पर डराके, अब गुलामी झन सहय।
आदमी ला चाहिए जी , आदमी बन के रहय।।
हार मानय बिन लड़े ये, बात हे धिक्कार के।।
जान जावय पर डराके, अब गुलामी झन सहय।
आदमी ला चाहिए जी , आदमी बन के रहय।।
खार चुप हे खेत चुप हे, चुप सबे बनिहार हे।
कारखाना का हरे बस, लूट के भरमार हे।।
अब किसानी छोड़ काबर लोग मजदूरी करय।
आदमी ला चाहिए जी , आदमी बन के रहय।।
कारखाना का हरे बस, लूट के भरमार हे।।
अब किसानी छोड़ काबर लोग मजदूरी करय।
आदमी ला चाहिए जी , आदमी बन के रहय।।
कोंन फोकट काय देथे, माँग मत कर जोर के।
स्वाभिमानी काम करथे, रोज जाँगर टोर के।।
चार रोटी बर कुकुर कस, अब गुलामी झन करय।
आदमी ला चाहिए जी , आदमी बन के रहय।।
स्वाभिमानी काम करथे, रोज जाँगर टोर के।।
चार रोटी बर कुकुर कस, अब गुलामी झन करय।
आदमी ला चाहिए जी , आदमी बन के रहय।।
हाथ हावे काम बर ता,बाँध के का राखना।
हक अपन ला पाय बर भी, पर तरफ का ताकना।
अब बगावत नइ करे ता,कोड़िहा जाँगर सरय।
आदमी ला चाहिए जी , आदमी बन के रहय।
हक अपन ला पाय बर भी, पर तरफ का ताकना।
अब बगावत नइ करे ता,कोड़िहा जाँगर सरय।
आदमी ला चाहिए जी , आदमी बन के रहय।
बल करइया हारथे जी, जीत हिम्मत पा जथे।
हौसला के सामने मा, बल घलो गिधिया जथे।।
का मरे के बाद होही, जेन करना अब करय।
आदमी ला चाहिए जी , आदमी बन के रहय।
हौसला के सामने मा, बल घलो गिधिया जथे।।
का मरे के बाद होही, जेन करना अब करय।
आदमी ला चाहिए जी , आदमी बन के रहय।
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