बाबा किहिस मोर से
एक सवाल हे तोर से
ये रोज रोज चिल्लाने वाला मन कोन ये?
कोन ये?
कोन ये?
ये रोज रोज के रैली
बन्द करथे बड़पेली
ये मन कोन ये?
कोन ये ?
कोन ये ?
का ये मन भूख मरत हे?
का इंकर पेट जरत हे?
का ये मन बेघर हे?
का ये मन नंगा हे।
का इकर मन के दंगा हे
मय अपन चेथी ल खजवायेव,
बने सचेव अउ गोठियायेव।
ए बाबा वो मन कैसे चिल्लाही
वो परबुधिया मन तो
मंद महुआ पी पी के बौरात हे।
फोकट के पाये बर लाइन लगत हे।
वो मन का चिल्लाही,
वो मन तो दूसर के गोड़ म
दबे परे हे।
इकर जिनगी ल तो
बाहिरी गोल्लर मन चरे हे।
इकर नाव ले वो मन चिल्लात हे।
जेन मन येमन ल लूटत हे
अउ खात हे।
इकर भूक पियास ले
अपन पियास बुझात हे।
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