तलवार झन तलवार के धार देखव जी।
हुजूर आज के अखबार देखव जी।
राम ह टोर दे हे अपन मरजादा,
कलजुग म रावन के भरमार देखव जी।
जरत हे खेत खार , दुकाल के मारे,
ऊपर ले मंहगाई के मार देखव जी।
डाक्टर के फ़ीस सुन के मरीज ह मर गे
नर्स कहत हे बुखार देखव जी।
डरपोकना जनता रिश्वतखोर अधिकारी,
आउटसोर्सिंग से बने सरकार देखव जी।
छत्तीसगढ़िया सेर बन्द हे सरकस के पिंजरा म
कोलिहा मन करत हे इन्हे सीकर देखव जी।
गदहा अउ जोजवा मन , अकल के ठेकेदार हो गे
सिक्छा ह बेचात हे सरेबाजार देखव जी।
बहुत होंगे झन सहव, मार हथोड़ा जोर से
दीवार जुन्ना होंगे, दरार देखव जी।
सबे झन अपन ए कोन ल छोड़ दव
दिल म परसाद दुलार देखव जी
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