सब भासा ले मीठ मयारू,
मोर छत्तीसगढ़ी भासा हे।
सुवा करमा अउ ददरिया,
पण्डवानी अउ जसगीत हे।
किस्सा कहानी आनी-बानी ,
मया अउ पिरित हे ।
मुँह म ये रस घोरत रहिथे,
ये ह मीठ बतासा हे।
सब भासा ले मीठ मयारू ,
मोर छत्तीसगढ़ी भासा हे।
दाई के कोरा ले सीखे हवन,
ये हमर गरब गुमान हे।
जे अप्पड़ के भासा समझे,
सिरतोन वो नादान हे।
हम तो सीना ठोक के कहिथन,
इही परान के आसा हे।
सब भासा ले मीठ मयारू,
मोर छत्तीसगढ़ी भासा हे।
जम्मो राज म अपने भासा म,
होवत हे सब काम जी।
लिखथे -पढ़ते अपने भासा म,
करथे जग म नाम जी।
हमर राज बर छत्तीसगढ़ी,
इही हमर अभिलासा हे।
सब भासा ले मीठ मयारु
मोर छत्तीसगढ़ी भासा हे।
बड़े- बड़े गुनी गियानी मन,
सहित एकर सिरजाये हे।
दुनियां भर म एकर मया के,
झंडा ल फहराये हे।
अपने घर म तभो ले काबर,
रही जाथे ये ह पियासा हे
सब भासा ले मीठ मयारु,
मोर छत्तीसगढ़ी भासा ये।
इस्कूल कालेज , कोट- कचहरी म,
छत्तीसगढ़ी बोलव जी।
विधानसभा के दुवारी ल,
महतारी बर खोलव जी।
बैरी मन ह खेल खेलत हे,
जस सकुनी के पासा हे।
सब भासा ले मीठ मयारु,
मोर छत्तीसगढ़ी भासा ये।
हमर राज ल हमी चलाबो,
नवा रद्दा अब गड़बो रे।
तभे हमर बिकास होही।
जब अपन भासा म पढ़बो रे।
परबुधिया मन काय समझही,
का तोला का मासा हे।
सब भासा ले मीठ मयारु,
मोर छत्तीसगढ़ी भासा हे।
लड़े बर परही त लड़बो,
छत्तीसगढ़ महतारी बर।
मरे बर परही त मर जाबो,
अपन घर अउ दुवारी बर।
हमरे राज म हमी भिखारी,
बस अतके हतासा हे।
सब भासा ले मीठ मयारु ,
मोर छत्तीसगढ़ी भासा हे।
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