सपना भर निराला दिही।
रोज नवा घोटाला दिही।
नेता मन ह देस ल अपन,
डउकी , लइका , साला दिही।
चोर मन ल चाबी दे दे के,
फोकट म हमला ताला दिही।
अखबार चलने वाला मन ल
रोज नवा मसाला दिही।
सिरमेंट रेती छड़ खवैया मन,
का भुखउ ल निवाला दिही।
काम नई देवय कोनो हाथ ल,
जपे बर सबला माला दिही।
हर चौक म दारु भट्ठी,
अउ पिए बर पियाला दिही।
सबे परे हे खखाये-भुखाये,
कोन ह कोन ल काला दिही।
'परसाद' जला के घर अपन ल
कबतक दूसर ल उजाला दिही।
रोज नवा घोटाला दिही।
नेता मन ह देस ल अपन,
डउकी , लइका , साला दिही।
चोर मन ल चाबी दे दे के,
फोकट म हमला ताला दिही।
अखबार चलने वाला मन ल
रोज नवा मसाला दिही।
सिरमेंट रेती छड़ खवैया मन,
का भुखउ ल निवाला दिही।
काम नई देवय कोनो हाथ ल,
जपे बर सबला माला दिही।
हर चौक म दारु भट्ठी,
अउ पिए बर पियाला दिही।
सबे परे हे खखाये-भुखाये,
कोन ह कोन ल काला दिही।
'परसाद' जला के घर अपन ल
कबतक दूसर ल उजाला दिही।
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