गुरुवर करें कर जोड़कर, हम आपकी आराधना।
आशीष दो हमको यही, अब हो सफल हर साधना।
हम क्या करें नादान हैं कुछ भी हमें आता नहीं ।
तेरे चरणरज के सिवा, कुछ और अब भाता नही।
भगवान से बढ़ कर तुझे, कहते जगत के लोग हैं।
मेरे किसी सद्कर्म से , अब तू मिला संजोग है।
तेरी कृपा मुझ दास पर, गुरुवर सदा बरसा करे।
तेरे चरण दर्शन मिले,मेरे नयन तरसा करे।
अज्ञान का बादल छटे, सूरज उगे अब ज्ञान का ।
मैं हूँ पतित पग में पड़ा , तू कर जतन उत्थान का।
मद लोभ में घिर कर फसा, यह मोह बन्धन तोड़ दे।
मैं बह रहा अनजान पथ, तू धार मेरी मोड़ दे।
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