मथुरा प्रसाद वर्मा एक क्रियाशील शिक्षक है साथ ही एक कवि और साहित्यकार है . छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य के

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कोलिहा लवन , बलौदाबजार, छत्तीसगढ, India
नाम- मथुरा प्रसाद वर्मा पिता- स्व. जती राम वर्मा माता- श्रीमती पितरबाई वर्मा जन्मतिथि- 22-06-1976 जन्मस्थान - ग्राम -कोलिहा, जिला-बलौदाबाजार (छ ग ) कार्य - शिक्षक शा पु मा शाला लहोद, जिला बलौदाबाजार भाटापारा शिक्षा - एम् ए ( हिंदी साहित्य, संस्कृत) डी एड लेखन- कविता, गीत, कहानी,लेख,

चौपई : नेता चरित

चौपई छन्द विधान : 15,15  अंत मे गुरु लधु 21

कइसे दिन आगे हे आज।  नेता बन गे गिधवा बाज।।
टूटत हे जनता के साँस।    नोच नोच के खाँवय माँस।।

जइसे खस्सू खजरी खाज। नाचय कूदय अइसे आज।
नइ लागय कोनो ला लाज। कहाँ जात हे आज समाज। ।

 गली गली मा नेता  रोज।  छुछुवावत हे चारा खोज।।
गुरतुर बोली मन भरमाय। लाज सरम ला बेच के खाय।।

लोक तंत्र मा अइसन काम। खादी  होगे हे बदनाम।।
वर्दी बन के इखर गुलाम। रोज मचावय कत्लेआम।।

अपन राग अउ अपने ढोल। बजा बजा के खोलय पोल।।
जेती मतलब ओती डोल।  अउ स्वारथ बर हल्ला बोल।।

हर आफिस मा खुले दुकान। बाबू साहब खावय पान।।
जब जब माँगय पानी चाय। जनता हा नँगरा हो जाय।।

बिना घूस नइ होवय काम।   नेता अफसर सब बइमान।।
फोकट खा जनता नादान।    लोक तंत्र के छूटय परान।।

कमा कमा के होवय लाल, नेता अधिकारी  अउ दलाल।
मौका पावय  झडकय माल।  बिगड़े  हे सबझन के चाल।

हितवा बन के गला लगाय।  मौका पा के छुरी चलाय।।
मनखे कुकुर सही छुछुवाय। येखर ओखर पाछू जाय।

राजनीत मा कोन ह साव।   बेचावत कौड़ी के भाव।।
जतका बड़े बड़े हे नाँव। काला बचाव काला खाँव ।।

पाही कोन इँखर जी पार। गल जाए बस अपने दार।।
मार लबारी भर भण्डार । देश धरम के बंठाधार ।।

लबरा मन बइठे दरबार।  माते हावे भ्रष्टाचार।।
जनता हो गे हे लाचार।  त्राही त्राही करे पुकार।।

बनके सिधवा आवय द्वार। चरण धरे करके गोहार।।
जोड़ तोड़ बनगे सरकार।  मिलगे बँगला मिलगे कार।।

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