हिम्मत के अचरा ला थामे, जाना हे बड़ दूर।
जे हा करथे अपन भरोसा, होय नही मजबूर।
मंजिल आही खुद रेंगत जी, चुमही आ के गोड़।
पग बाधा तो आवत रहिथे, ओखर चिंता छोड़।
ऊँच नीच अउ खचवा डिपरा, पथरा अउ चट्टान।
रोक सके ना राह बीर के, जब मन मा ले थान।
गिरथे उठथे उठके चलथे, कभू न बोले हाय।
नरवा नदिया जंगल झाड़ी, पार करत बढ़ जाय।
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