बरवै छन्द
12, 7
कोन कमाही संगी,खेती खार।
मिलय कहूँ नइ अब तो, जी बनिहार।
फोकट के चक्कर मा, लोगन आज।
होत ओतिहा करय न, कोनो काज।
बिना पढ़े लइका मन, होथे पास।
अपने भविष्य करथेे ,सत्यानास।
फोकट पा के जनता, होत अलाल।
मार लबारी नेता, झडकय माल।
होही कइसे संगी, सोच विकास।
जाँगर चोट्टा बाँटा, पाथे खास।
काम करइया दिन दिन , होय निराश।
बइठाँगुर के बाढ़त, हावय आश।।
स्वाभिमान होवत हे, चकनाचूर।
फोकट खा के आदत , ले मजबूर।
आज कोढ़िया होगे , हमर समाज।
बीच सड़क मा घूमय, बेंचत लाज।।
दिनभर बइठे टूरा, होय उदास।
मोबाइल हर होगे, टाइम पास।
सोच सोच के मनमा, गड़थे फांस।
भट्ठी अटके जवान , मन के सांस।
काम बुता बर मिलय न, कोनो लोग।
राजनीति हा बनगे, अब उद्योग।
बाँटे बिन नइ पावे, कोनो वोट।
पव्वा अध्धी बोतल , माँगय नोट।
लालच परके होही, जब मतदान।
गलत आदमी बनही, हमर सियान।
कुर्सी पा के होही , मद मा चूर।
रोज मलाई खाही, जी भरपूर ।
सोच समझ के करना, हे मतदान।
बइठ सिहासन जाए, झन बइमान।
12, 7
कोन कमाही संगी,खेती खार।
मिलय कहूँ नइ अब तो, जी बनिहार।
फोकट के चक्कर मा, लोगन आज।
होत ओतिहा करय न, कोनो काज।
बिना पढ़े लइका मन, होथे पास।
अपने भविष्य करथेे ,सत्यानास।
फोकट पा के जनता, होत अलाल।
मार लबारी नेता, झडकय माल।
होही कइसे संगी, सोच विकास।
जाँगर चोट्टा बाँटा, पाथे खास।
काम करइया दिन दिन , होय निराश।
बइठाँगुर के बाढ़त, हावय आश।।
स्वाभिमान होवत हे, चकनाचूर।
फोकट खा के आदत , ले मजबूर।
आज कोढ़िया होगे , हमर समाज।
बीच सड़क मा घूमय, बेंचत लाज।।
दिनभर बइठे टूरा, होय उदास।
मोबाइल हर होगे, टाइम पास।
सोच सोच के मनमा, गड़थे फांस।
भट्ठी अटके जवान , मन के सांस।
काम बुता बर मिलय न, कोनो लोग।
राजनीति हा बनगे, अब उद्योग।
बाँटे बिन नइ पावे, कोनो वोट।
पव्वा अध्धी बोतल , माँगय नोट।
लालच परके होही, जब मतदान।
गलत आदमी बनही, हमर सियान।
कुर्सी पा के होही , मद मा चूर।
रोज मलाई खाही, जी भरपूर ।
सोच समझ के करना, हे मतदान।
बइठ सिहासन जाए, झन बइमान।
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