जब जब मनखे हारथे, खुले जीत के राह।
गिर उठ कर के हौसला, खोज नवा उत्साह।
खोज नवा उत्साह, चाह ला पंख नवा दे।
झन जुड़ाय अब आग, रोज तँय फूँक हवा दे।
मारे जब झटकार, हाथ ले सकरी खनके।
बँधना टोरय खास, आस कर जब जब मनखे।1।
तोरे बस मा राम हे, झन तँय कर आराम।
जिनगी माँगे तोर ले, कर ले बेटा काम।।
कर ले बेटा काम, भाग ला अपन गढ़ ले।
खेत खार ला देख ,संग मा थोकुन पढ़ ले।।
पानी कस हे धार, मेहनत दउड़य नस मा।
हार जीत सब यार, रही तब तोरे बस मा।2।
खाथे मलाई रात दिन, नेता मन हर खास।
आजादी के नाव ले , आजो हमला घाँस।।
आजो हमला घाँस, फाँस हिरदय मा गड़थे।
निज स्वारथ ल साध, आज सब आघु बढ़थे।।
जनता है बर्बाद, बढ़े, ऊँच नीच के खाई।
मरे भूख से देश, आज वी खाय मलाई।3।
चाटी चुरगुन गाय गरू, अपन पेट बर खाय।
वोखर जग मा नाव हे, परहित जे मर जाय।।
परहित जे मर जाय, उही इतिहास म जीथे।
नीलकण्ठ बन जेन, जेन जगत के जहर ल पीथे।।
धन दौलत अउ नाम,सबो हो जाही माटी।
मानुस पर बर आय, अपन बर जीवय चाटी।4।
रोटी है संसार मा, भूखे बार भगवान ।
सुरुज उगे जब पेट मा, तन मा तब दिनमान।।
तन मा तब दिनमान, रात हा घलो सुहाथे।
मिहनत कर इंसान , पेट भर अन ला खाथे।।
सबो हाथ ला काम, लाज बर मिलय लँगोटी।
किरपा कर भगवान, सबो ला दे दे रोटी।5।
बइठे आमा डार मा, कउवा बोलय काँव।
कोन गली हे कोयली, सुन्ना परगे गाँव।।
सुन्ना परगे गाँव, छाँव हा घलो नँदागे ।
बिरवा कटगे हाय, गाँव मरघट्टी लागे।।
करे नहीं अब बात, रहे सब मुँह ला अइठे।
चौरा हे न चौक, कहाँ अब मनखे बइठे।6।
दुर्गा दाई आज तँय, धर चण्डी के रूप।
बइरी मन के नास कर, रणचण्डी तँय झूप।।
रणचण्डी तँय झूप, गाँज दे मुड़ के खरही।
लहू बोहावय धार, तोर जब बरछी परही।।
बढ़गे अतियाचार, तहीं हा हमर सहाई।
आजा रन मा आज, मोर तँय दुर्गा दाई।7।
हर दफ्तर मा मातगे, चिखला भ्रष्टाचार।
सरकारी अनुदान तँय, कइसे पाबे यार।।
कइसे पाबे यार,चढ़ावा बिना चढाये।
बाबू साहब लोग, सबो हे जीभ ल लमाये।
का करबे प्रसाद, फँसे एखर चक्कर मा।
घुस खाये के होड़, मचे हे हर दफ्तर मा।8।
विपदा तोरे जिंदगी , के करही सिंगार।
तपके सोना के सहीं, पाबे तहूँ निखार।
पाबे तहूँ निखार, हार के झन थक जाबे।
रेंगत रेंगत यार, एक दिन मंजिल पाबे।
आसा अउ विस्वास, राख के मन मा जोरे।
हिम्मत जाही जीत, हारही विपदा तोरे।9।
पनिहारिन मन हॉस के , तरिया नदिया आय।
घाट घठौन्डा फूल कस,महर महर ममहाय।
महर महर ममहाय, गाँव के गली गली हा।
देखय अउ सरमाय, फूल के कली कली हा।
सुख दुख अपन सुनाय, चार झिन सँगवारिन मन।
हाँसत आवय जाय, आज जब पनिहारिन मन।